रविवार, 18 जून 2023

आज की हकीकत (कड़वा सच) दिनाँक १० मई २०२३

सच्चाई की नज़र से ज़मींनीं हकीकत को देखा तो सितारा दूर नज़र आया,
ज़मींनीं बात को खुदी (स्वार्थ) के आईने से देखा तो मंजर जो दिखाया नज़र आया,
थी बात बस इतनी सी अहम के वजूद से जो मेरा न था मेरा नज़र आया,
ज़मींनीं बात को खुदी को दूर कर दुनियाँवी नज़र से देखा तो जमीं में मिला पाया।।

छल,बल के साथ जो चला मंज़िल–ए–मुक़ाम  पाने को वो सफ़ेद पॉश नज़र आया,
चाहत थी शिखर छूने की जिसकी वो शिखर पर चढ़ता ही नज़र आया,
सत्यमेव जयते मंत्र के साथ जो चलता रहा भरी धूप में मंजर धुंधला नज़र आया,
राजनीति के परिवेश में सच को कभी जीतता तो कभी हारता नज़र पाया।।

खत्म थी सांसे जिनकी मुर्दा थे शमशान में  बहुत सी ज़िंदा लाशों को चलता पाया,
ज़मीर की बात मत कर "नादान" वास्ते मतलब बहुतों का गिरता नज़र आया,
अहम के वहम से भरी दुनियाँ में मैं ही मैं बाक़ी थी बाकि ख़्वाब नज़र आया,
झूठ बिकता रहा सरे बाज़ार सच्चाई के आईने को काला नज़र पाया ।।

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