शुक्रवार, 11 मार्च 2022

चोर खुद ही मचाता शोर दिनाँक १२ मार्च २०२२

चोर को सभी ओर,
नजर आते है चोर ही चोर,
चोर चोर चोर, 
चोर ही खुद मचाता शोर।। 

भीड़तंत्र में कुछ भो बोलो,
न कोई मतलब बस मुँह खोलो,
ऐ "नादान" जानता है, 
तंत्र में प्रजा है परेशां,
बस रख दुखती नश पर हाथ,
चारों ओर उलझाकर,
लोगों को बहकाकर,
मतलब सीधा करना है,
जो मरे सो मरे,
सीधा अपना उल्लू करना है,
जब तक न हो उल्लू सीधा,
तब तक करना शोर,
हो जाये जो उल्लू सीधा,
तब भी करना शोर,
कुछ का कुछ दिखाना है,
स्वप्न हसीन सजाना है,
स्वप्न तो स्वप्न है उनके लिये,
जो तेरे संग मचाते शोर,
जो तू बोले ज्यों मुँह खोले,
बिना सोचे संग संग बोले,
हरदम करते शोर,
ये तो नादान बहुत है,
स्वप्न से दिल पर चोट खाने तक,
अपना उल्लू सीधा हो जाने तक,
शोर मचाकर माल पाने तक,
आज नही तो कल के आसन तक,
बस करना है यही शोर,
चोर चोर चोर, 
चोर खुद भी मचाता शोर,
तुम भी मचाओ शोर,
चोर चोर चोर 
चोर खुद ही मचाता शोर ।।