शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

अंग्रेज़ी नव वर्ष क्यों मनायें? दिनाँक २६ जनवरी २०२४

कॉपी/पेस्ट कविता कुटुम्ब एप से

_*🙏अपना नववर्ष मनाएंगे🙏*_

*हवा लगी पश्चिम की*
*सारे कुप्पा बनकर फूल गए ।*

*ईस्वी सन तो याद रहा ,*
*पर अपना संवत्सर भूल गए ।।*

*चारों तरफ नए साल का ,*
*ऐसा  मचा है हो-हल्ला ।*

*बेगानी शादी में नाचे ,*
*जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।*

*धरती ठिठुर रही सर्दी से ,*
*घना कुहासा छाया है ।*

*कैसा ये नववर्ष है ,* 
*जिससे सूरज भी शरमाया है ।।*

*सूनी है पेड़ों की डालें ,* 
*फूल नहीं हैं उपवन में ।*

*पर्वत ढके बर्फ से सारे ,* 
*रंग कहां है जीवन में ।।*
👇👇
*बाट जोह रही सारी प्रकृति ,* 
*आतुरता से फागुन का ।*

*जैसे रस्ता देख रही हो ,* 
*सजनी अपने साजन का ।।*

*अभी ना उल्लासित हो इतने ,* 
*आई अभी बहार नहीं ।*

*हम अपना नववर्ष मनाएंगे ,* 
*न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।।*

*लिए बहारें आँचल में ,*
*जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।*

*फूलों का श्रृंगार करके ,* 
*धरती दुल्हन बन जाएगी ।।*

*मौसम बड़ा सुहाना होगा ,*
*दिल सबके खिल जाएँगे ।*

*झूमेंगी फसलें खेतों में ,* 
*हम गीत खुशी के गाएँगे ।।*
🚩🚩👇👇🚩🚩
*उठो खुद को पहचानो ,* 
*यूँ कबतक सोते रहोगे तुम ।*

*चिन्ह गुलामी के कंधों पर ,* 
*कबतक ढोते रहोगे तुम ।।*

*अपनी समृद्ध परंपराओं का ,* 
*आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।*

*आर्यवृत के वासी हैं हम ,* 
*अब अपना नववर्ष मनाएंगे ।।*
        🙏🙏🙏🙏