हकीकत में ये पयाम हुआ है,
दोस्ती में वो हमारे नाम हुआ है ।।
कारवाँ निकला है जिस कूचे से,
वो कूचा भी बदनाम हुआ है ।।
निशाँ तक ना थे जिस गुनाह के,
मुकदमा उस ही के नाम हुआ है ।।
कर से करतब का कोई सबूत नही,
आला-ए-निगाह से गुनाह अंजाम हुआ है ।।
महरूम ना थे जिनसे कल तक,
आज उनसे प्यार का पैगाम हुआ है।।
अनपढ़ था आज तक निसार में,
ढाई अक्षर पढ़कर गहरा ज्ञान हुआ है ।।