जो मरते है वो ही जीवन धरते है,
तुम भी मरती और हम भी मरते है,
मरते है चल फिर एक दोनों बस एक बार,
मरते है एक दूजे पर जीने के लिये,
नयी दुनिया बसाते है दिखाते है,
उन्हें जो जी नहीं पा रहें देखकर,
राहों पर चलते प्यार की मेढ़ धर,
जितना दूर...... हो सकें जाते है,
नजरों से नहीं,
मानसिकता से आगे आते है,
कुछ बताते है,कुछ समझाते है,
यश-अपयश से दूर हो जाते है,
प्यार से धर्म और उसका कर्म जान,
मिलकर दोनों एक राह नयी बनाते है,
आर्यों से अनार्यों तक जो आ चुके,
उन जिन्दा लाशों से दूर,
एक सुन्दर स्वप्न सजाते है,
चल मनुष्य है "नादान"
मनुष्य की भाँति प्रेम सजाते है ।।