शुक्रवार, 3 जून 2016

शीर्षक - दीवाना कवि नित्यानन्द जी के आदेश पर 03 जून 2016

मुझे मेरे जज्बात ने जीना सिखा दिया,
ठोकरों ने मुझे जहाँ की चलना सिखा दिखा,
दिया जो ज्ञान मात-पिता ने जन्म माटी के कृतार्थ का,
देश भक्ति आ गयी ऐसी रगों में दीवाना बना दिया,
दुनियाँ ने गए गीत प्यार व वफ़ा के,
कवियों ने भी जज्बात उकेरे कलम से जवाँ के,
दिलों में मोहब्बत की ऐसी खायी बनायीं वीर रसियों ने,
देश के दुश्मनों के छक्के छुड़ानें का दीवाना बना दिया,
सत्य और अनुशासन की बन्ध डोर से,
जीवन को चलाने जो चला उस छोर इस छोर से,
सत्ता के लोभियों ने खून से खून पर नफरत का रंग चढ़ा दिया,
"नादान" ने आईना दिखाने को कलम का दीवाना बना लिया।