शनिवार, 6 सितंबर 2014

वह एक है

जर्रे जर्रे  में नूर खुदा का और कण-कण में बसते भगवान।
उसी मिट्टी में कृष्ण जन्मे और उसी में जन्मे रहमान।
सभी बने जब तत्व पाँच से जल,मिट्टी,अग्नि,वायु और पाँचवा आसमान।
फिर इंसानियत को क्यूँ भूल गये अरे नादाँ इंसान।
रूह कहो या कहो आत्मा बोध एक है बताते है विद्वान।
मजहबी शब्दों में फिर क्यों बाँट दिये वही खुदा वही भगवान।
वह एक है वह नेक है जिसने रचा जहान,
पूजा कर रिझा रहे,जिसे हिन्दू और इबादत कर मुसलमान।
ना देखा उसे मंदिर मे ना पाया मस्जिद मे ढूँढ़ मरा नादान।
जर्रे जर्रे  में नूर खुदा का और कण-कण में बसते भगवान।