मंगलवार, 22 अगस्त 2017

मैं और प्यार दिनाँक २३ अगस्त २०१७

दिल में जिनकी तस्वीर सजी है,
सदियों से,
वो चेहरा नूरानी है,
हसरत थी जो कल,
वो आज भी बाकि है,
पा जाऊँ, सपनों के सौदागर को,
ये ख्यालात आज भी नव है,
बस दिल मे तस्वीर बसी है वो पुरानी है,
जीवन नित आगे क्रमबद्ध है,
जैसे सूर्यास्त के बाद उदय,
रात्रि के बात प्रभात का होना,
किन्तु तारीखे बदल जाती है,
हर नई सुबह की किरण के साथ,
मुजरिम हूँ यादों का,
जो आज भी जिन्दा हैं,
नव उतनी ही जितनी भौर की किरण,
क्यों साँझ की तरह उन्हें अँधेरे में नही पहुँचा पाया,
जज्बातों को अधरों पर ला न पाया,
शायद बहुत देर हो चुकी,
प्यार इसलिये आज कशमकश में है,
शायद दिल को झुठला पाता,
यादों को रात के अंधेरे में ले जाता
ताकि नया सवेरा किसी नये जज्बात का  बीजारोपण कर सकें,
नव ख्यालात को जन्म दे सकें,
लेकिन ये हो न सका,
क्योंकि दिल मे जो बसा वो प्यार सच्चा था, है और शायद न मिट पायेगा, यथार्थ की तरह,
चूँकि ये मेरा प्यार है मेरी तरह ।।