शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

मेरा व्यक्तित्व दिनाँक १७ नवम्बर २०१७

आगे कदम बढ़ा दिया,
आगे ही बढूँगा,
न रूक सका किसी से,
न रूका हूँ कभी,न थका हूँ कभी,
न थकूँगा कभी,न रुकूँगा कभी ।।
ढला हूँ जब वजह किसी से,
किरण सूरज की भाँति चमका हूँ,
फिर सुबह किसी से,
आशा हूँ,
हो परिस्थिति कितनी विपरीत,
न डगमगाये कदम,
हरदम साहस से लिया काम,
जोश न होने दिया कम,
देखें है बहुत अक्स मैंने
इतिहास के आईने से,
लिखे जो कलमकारों ने,
दरबारों के गढ़ने से,
खण्ड-खण्ड हुआ सजा अखण्ड रूप,
द्वेष,लालच,छल,कपट 
बहुत से हथियारों से,
चोटिल माँ भारती का सम्मान,
हुआ है कुछेक गद्दारों से,
अखण्ड रूप सजे भारती का ठाना है,
विश्व गुरु मानदण्ड का मान निभाना है,
वसुधैव कुटम्बकम का संदेश
सार्थक कर दिखाना है,
आलोचनायें कमियों का आईना है,
आईना देखते दिखाते रहिये,
राह आसान हो जायेगी सन्देश पुराना हैं,
कर्म धर्म है, कर्म पूजा है,
कर्म योग है,
कर्मफल जीवन का भोग मर्म है,
कर्मयोग से महायोगी बन दिखलाना है,
जीवन सुफल बने हर प्राणी का,
भारत सिरमौर बने ऐसा जतन बनाना है,
लाल माँ भारती का पहचान है बस भारतीय,
मानव है देवत्व बन दिखाना है,
समल सफ़ल नही होता जब तक,
बढ़ा कदम न रोकूँगा कभी,
आगे कदम बढ़ा दिया,
आगे ही बढूँगा,
न रूक सका किसी से,
न रूका हूँ कभी,न थका हूँ कभी,
न थकूँगा कभी,न रुकूँगा कभी ।।