सोमवार, 12 सितंबर 2022

मानव सेवा हेतु दिनांक १० सितम्बर २०२२

मैंने भी जलाई है ज्योति,

तुम रस बिखराओ तो सही,

इश्क़ भले अधूरा रह जाये,

प्यार होगा पूरा समर्पण का प्रण

निभाओ तो सही ।।


राह देखती है निगाहें गाहे–बघाये,

नज़र में आओ तो भान हो दिखे झलक ही सही

गलत सही का भेद समय बताता है,

जज़्बात सलामत कर कदम बढ़ाओ तो सही ।।


कर्म की गति बड़ी न्यारी है बड़ी प्यारी,

होगा प्रकाश जरूर दिया जलाओ तो सही,

पाप–पुण्य सब यही हैं पता चलेगा,

जीवन के दर्शन में एक बार नहाओ तो सही ।।


जीव तो जीव है प्यार करो अपनी जगह,

सदैव मंत्र रहा हमारा अतिथि देवो: भाव:,

भूल को भूलकर आत्मा को गुरुत्व कर,

बाल को पालकर मानव बनाओ तो सही ।।

रविवार, 12 जून 2022

नर और नारी जड़ चेतन दिनाँक १२ जून २०२२

बीज जगत में, 
एक नर बना एक नार,
नर नार बन जड़ चेतन,
नर जड़ बना वो पौधा,
प्रकृति से मिला जो दिया उसे,
खूब फूला फला वो जड़ के कारण,
नर सर्वस्व वारता रहा वो अपने को निखारता रहा,
नर जड़ ही रहा वो पत्ता तना फूल फल बन गया,
नर जड़ बन निष्ठुर सा तना रहा वो जग की ममता पार गया,
उपमाओं के खेल से लेकर सभी की भावनाओं तक सब मिला उसे,
नर जड़ था मूक देखता रहा अपने कर्म व भाग्य को वो अपने भाग्य पर नाज गया,
नर के कर्म से उत्पन्न रस को तरह तरह से भोगता रहा ओर नर बस मूक सोचता रहा,
यह नर था जो जड़ता रहा प्रत्येक परिस्थिति में और नार खिलता रहा ।।

शुक्रवार, 11 मार्च 2022

चोर खुद ही मचाता शोर दिनाँक १२ मार्च २०२२

चोर को सभी ओर,
नजर आते है चोर ही चोर,
चोर चोर चोर, 
चोर ही खुद मचाता शोर।। 

भीड़तंत्र में कुछ भो बोलो,
न कोई मतलब बस मुँह खोलो,
ऐ "नादान" जानता है, 
तंत्र में प्रजा है परेशां,
बस रख दुखती नश पर हाथ,
चारों ओर उलझाकर,
लोगों को बहकाकर,
मतलब सीधा करना है,
जो मरे सो मरे,
सीधा अपना उल्लू करना है,
जब तक न हो उल्लू सीधा,
तब तक करना शोर,
हो जाये जो उल्लू सीधा,
तब भी करना शोर,
कुछ का कुछ दिखाना है,
स्वप्न हसीन सजाना है,
स्वप्न तो स्वप्न है उनके लिये,
जो तेरे संग मचाते शोर,
जो तू बोले ज्यों मुँह खोले,
बिना सोचे संग संग बोले,
हरदम करते शोर,
ये तो नादान बहुत है,
स्वप्न से दिल पर चोट खाने तक,
अपना उल्लू सीधा हो जाने तक,
शोर मचाकर माल पाने तक,
आज नही तो कल के आसन तक,
बस करना है यही शोर,
चोर चोर चोर, 
चोर खुद भी मचाता शोर,
तुम भी मचाओ शोर,
चोर चोर चोर 
चोर खुद ही मचाता शोर ।।

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

शर्म, दिनाँक २३ फरवरी २०२२

न देखिये आस-पास कुफ़्र न देखकर विनाश कीजिये,
उठा जो आचरण दिया ओर उठाकर विकास कीजिये।।
बड़ी मेहनत की थी सदियों की एहसास-ए-इज्ज़त सजाने में,
बनाकर जगह थेकली की, लगाकर न फिर नुमाइश कीजिये ।।
गिरकर न नज़रों से खत्म करो, अदब के खजाने को,
बन्दगी न करो न सही, शर्म है गहना तो शर्म कीजिये ।।

खानदान की कीमत पता चलती है हुस्न-ए-सलूक से,

अदब का हर पहलू इससे है, नजरों में थोड़ी हया कीजिये ।।

मिलती नही मन्जिल में बा-वफ़ा अब हर मुसाफ़िर से,
आजकल गुरबत में है "नादान" जरा ईनायत कीजिये ।।

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

सरस्वती आराधना - बसन्त पञ्चमी दिनाँक ०५ फ़रवरी २०२२

वर दे माँ वीणा वादिनी वर दे माँ सरस्वती,
हे कमलधारिणी वर दायिनी वर दे माँ सरस्वती,
तुझे पूजूँ माँ तुझे ध्याऊँ पल-पल,क्षण-क्षण तुझे रिझाऊँ,
वर दे माँ वीणा वादिनी वर दे माँ सरस्वती,
हे कमलधारिणी वर दायिनी वर दे माँ सरस्वती।।

प्रकृति सम श्रंगार कर वाणी का, हर मन में बस जाऊँ,
ज्ञान की ज्योति ऐसे जले, भवसागर तर जाऊँ,
तेरी कृपा की भिक्षा चाहूँ हे वीणा वादिनी माँ सरस्वती ।।

कदम-कदम ज्यों बढूँ सत्य मार्ग पर चलता जाऊँ,
निर्भय का वर दे वर दायिनी अभय हो विजय पाऊँ,
मन बसे कल्याण भावना ऐसा वर दे कमलधारिणी कल्याणी ।।
इन्द्रिय खुले तन-मन की समभाव सजे मेरे मन-मन्दिर में,
राग-द्वेष से कोसों दूर हो,वैरी भी अलंकृत हो जीवन में,
भारत सिरमौर बनें विश्वभर में,मैं बस जाऊँ जन-मन में ऐसा वर दे माँ सरस्वती ।।

वर्तमान इंसान दिनाँक ०४ फरवरी २०२२

शख्सियतों ने किरदार के कई रंग, चेहरे पर चढ़ा रखे हैं,

खिलाड़ी हैं जो मंजे हुये, बदलने को पाला मैदान बचा रखे हैं ।।


दोगली फ़ितरत में, अहम के किरदार सज़ा कर,

कभी तेरे कभी मेरे बन, बीच फ़ासले बना रखे हैं ।।


कब कौन धोखा दे जाये, ये कौन जानता हैं,

लेकिन धोखा वहीं देते है, जो तूने अपने बना रखे हैं ।।


प्यारी आँखों की हया कैसे मरी, जो खोजने चलों,

बेशर्म किरदार कि परछाई के पीछे भी किरदार नज़र आते हैं ।।


द्वंद्व है धुंध है अहम की, हाथ को हाथ दिखता नहीं,

दीप जलाकर देखना, पीठ मुखौटे के चेहरे नज़र आते हैं ।।


मुकम्मल है "नादान" बहुत सीधा है भोला-भाला है,

मतलब के लिये लोग, जब-तब नीच घर पानी भर आते हैं ।।