मैंने भी जलाई है ज्योति,
तुम रस बिखराओ तो सही,
इश्क़ भले अधूरा रह जाये,
प्यार होगा पूरा समर्पण का प्रण
निभाओ तो सही ।।
राह देखती है निगाहें गाहे–बघाये,
नज़र में आओ तो भान हो दिखे झलक ही सही
गलत सही का भेद समय बताता है,
जज़्बात सलामत कर कदम बढ़ाओ तो सही ।।
कर्म की गति बड़ी न्यारी है बड़ी प्यारी,
होगा प्रकाश जरूर दिया जलाओ तो सही,
पाप–पुण्य सब यही हैं पता चलेगा,
जीवन के दर्शन में एक बार नहाओ तो सही ।।
जीव तो जीव है प्यार करो अपनी जगह,
सदैव मंत्र रहा हमारा अतिथि देवो: भाव:,
भूल को भूलकर आत्मा को गुरुत्व कर,
बाल को पालकर मानव बनाओ तो सही ।।