वर दे माँ वीणा वादिनी वर दे माँ सरस्वती,
हे कमलधारिणी वर दायिनी वर दे माँ सरस्वती,
तुझे पूजूँ माँ तुझे ध्याऊँ पल-पल,क्षण-क्षण तुझे रिझाऊँ,
वर दे माँ वीणा वादिनी वर दे माँ सरस्वती,
हे कमलधारिणी वर दायिनी वर दे माँ सरस्वती।।
प्रकृति सम श्रंगार कर वाणी का, हर मन में बस जाऊँ,
ज्ञान की ज्योति ऐसे जले, भवसागर तर जाऊँ,
तेरी कृपा की भिक्षा चाहूँ हे वीणा वादिनी माँ सरस्वती ।।
कदम-कदम ज्यों बढूँ सत्य मार्ग पर चलता जाऊँ,
निर्भय का वर दे वर दायिनी अभय हो विजय पाऊँ,
मन बसे कल्याण भावना ऐसा वर दे कमलधारिणी कल्याणी ।।
इन्द्रिय खुले तन-मन की समभाव सजे मेरे मन-मन्दिर में,
राग-द्वेष से कोसों दूर हो,वैरी भी अलंकृत हो जीवन में,
भारत सिरमौर बनें विश्वभर में,मैं बस जाऊँ जन-मन में ऐसा वर दे माँ सरस्वती ।।