मंगलवार, 18 मई 2021

महामारी से भाव दिनाँक १९ मई २०२१ दिन बुधवार

दिल के झरोके से थोड़ी सी आवारगी झलकने ही लगी थी,
जिंदगी कुछ कुछ मस्त बयार सी चलने ही लगी थी, 
कुछ कदम बढ़े ही थे कि कुदरत का नजराना ऐसा मिलने लगा,
कमबख्त हर दिल की धड़कन भय में बदलने लगी,
वैसे तो हम रोगी हो ही चुके थे मनोविज्ञान से,
कमबख्त उम्र के रोग से सबल होगा इलाज अज्ञान थे,
सोचा जब हमने उमीदों को अब नजराना मिलेंगा,
बेहतर होगा कल कल से नव आयाम मिलेगा,
बेबसी सफ़र करने लगी बेबस लोग ओर लाशों को देखकर,
लाश भी पूछती है लाश से कब होगा उद्धार दशा देखकर,
गङ्गा जी भी उद्वेलित है आज मुक्ति का यह हश्र देखकर,
हे जटाधारी अब दयाकर रहा नही जाता अब भागीरथी की दशा देखकर ।।

आपका परम् स्नेह आकांक्षी :- पुष्पेन्द्र सिँह मलिक " नादान"