स्वभाव कहाँ दिखता है उनका दरकार से पहले,
सुन्दरता नजर आती है चरित्र पर नजर पडने से पहले।।
आचरण छुपा रोता है आज कोने में,
सुन्दरता खोजते है सब प्यार होने में ।।
धोखा कहाँ खाते है यहाँ हजार तन वाले,
राह में नही चल पाते दो कदम सदाचरन वाले।।
आज जमाने को दोष देते है सब,
पर आचरण नहीं मिलते सत्य के युग वाले ।।