सोमवार, 25 अप्रैल 2016

सुन्दरता को देखकर मन की आकांक्षा दिनाँक 26 अप्रैल 2016

तुम खुशबू हो या परी हो,
मेरे दिल की फूल झड़ी हो,
मै गागर हूँ शून्य रिक्त,
तुम सागर सी भरी हो।।

तुम प्यार की मूरत हो,
मेरे सपनों की सूरत हो,
देखकर जिसे प्रफुल्लित हो जाऊं,
वो हँसी मूरत हो।।

ख्यालों में लेकर जब बैठूँ,
मै कलम लिखने को,
"नादान" को मिले शब्दों की,
तुम पावन कविता हो।।

जब से देखा है तुमको,
सब निर्झर लगता है,
आ जाओ जीवन में,
तो सुहाना सावन हो।।