आज नाग पञ्चमी है,
चलो साथी रहते है जहाँ विषधर,
वो बमी ढूँढते है,
देश कर्णधारों ने,
ऑफिस में बैठे जिन गद्दारों ने,
मेरे स्वर्ग रूपी घर को,
डस लिया है अपनी जहरीली सोच से,
उनको दूध पिलाकर आते है,
जाते है, देकर आते है उनको गीता,
जाकर उनको बाँटते है ज्ञान,
शायद समझ मे आ जायें उनके,
दूर हो जाये अभिमान,
सत्ता मद के अँधेरे गलियारे से निकल,
शोषनता के विरुद्ध कुछ अलख जग जाये,
सोच से सच, सजर से समझ आये,
विष भरी कुंठा से निकल सेवा नजर आये,
उनका विवेक जग जाये,
सत्य,कर्तव्यनिष्ठा, परायणता आदि सद्गुणों का आगाज हो जाये,
नाग पँचमी की असली पूजा हो जायें।।
शुक्रवार, 28 जुलाई 2017
नाग पँचमी दिनाँक २८ जुलाई २०१७
बुधवार, 26 जुलाई 2017
हरियाली तीज गीत दिनाँक २६ जुलाई २०१७
आओ सखी झूला झूले हरयाली तीज आयी रे,
सैंया भये मसखोर सैंया की बतलायें रे।।
बादल गरज गरज शोर मचाये,
मोर नाचता पंख फैलाये,
पपीहा शौर मचाये रे,
आओ सखी झूला झूले हरयाली तीज आयी रे,
सैंया भये मसखोर सैंया की बतलायें रे ।।
चल रही ठंडी ठंडी फुआर,
आओ सखी खेले गाये राग मल्हार,
रंग बदलता मौसम जिया में आग लगाये रे,
आओ सखी झूला झूले हरयाली तीज आयी रे,
सैंया भये मसखोर सैंया की बतलायें रे ।।
मेघ गरज गरज बरस रहे है,
यादों में उनकी बैठ तरस रहे है,
मन सजाकर यादों से तन भी सजायें रे,
आओ सखी झूला झूले हरयाली तीज आयी रे,
सैंया भये मसखोर सैंया की बतलायें रे ।।
बागों में झूले पड़ी है,
झूलन को पेंगे अड़ी है,
और मिलकर पेग बढ़ाये रे,
आओ सखी झूला झूले हरयाली तीज आयी रे,
सैंया भये मसखोर सैंया की बतलायें रे ।।
गुरुवार, 13 जुलाई 2017
प्यार के लिये इज्जतदार व्यक्ति की अभिव्यक्ति दिनाँक १४ जुलाई २०१७
दिल मे हसरत होती है बहुत,
लेकिन बहुत मजबूर होता है,
एक अच्छा इंसान बेचारा,
इजहारे वक्त किसी से यूँ ही मायूस होता है ।।
होते है अरमाँ वृहद जिगर भी विशाला,
टूटकर बिखरते है जज्बात जब
दिल की जगह दिमाग से ले काम,
बदल जाते है वो जनाबे आला ।।
निगाहें देखकर उसकी ओर,
आज भी उमंग भर आती है,
मुक़द्दर की कहानी कहूँ अथवा
बेबसी नाम दूँ उसको डर है जिसका,
इज्जत है तिरछी नजर से नीलाम नजर आती है ।।