मंगलवार, 26 अगस्त 2014

बेगाना २७ अगस्त २०१४

रहा अपनों की शादी में अब्दुल्ला दीवाना,
ना मैंने जाना किसी को ना किसी ने मुझे पहचाना।।

ये दुनिया है मेरे लिए उलझी एक कहानी,
मै तो हूँ नादान ना समझी दुनिया ने नादानी,

हजारों मुसीबतें है राहों मे हर राह से मै अनजाना,
ना मैंने जाना किसी को ना किसी ने मुझे पहचाना।।

कल जो मेरे अपने थे जो मेरे सपने थे,
था मै भी उनका वो माला मेरी जपते थे,

आज नहीं वो जानते कौन हूँ उनके लिये मै अनजाना,
ना मैंने जाना किसी को ना किसी ने मुझे पहचाना।।

यहाँ हर जर्रा है धोखा ये दुनिया है मतलब की,
ना रख चाहत किसी से किसको पडी है तेरे गुरबत की,

जीना है मान से सम्मान से तो खुद है सम्मान बचाना,
ना मैंने जाना किसी को ना किसी ने मुझे पहचाना।।