शनिवार, 16 अगस्त 2014

कृष्ण जन्माष्टमी १७ अगस्त २०१४

कृष्ण तेरे राज की बात अलग है।
आज के समाज की सौगात अलग है।।

तेरे राज में नदी दूध की बहती थी,
खाने पीने नहीं कमी किसी को रहती थी,
मक्खन चोरी की तुमने वो बात अलग है,
गोबरधन पूजा कर गऊ मान बढाया,
कृष्ण तेरे राज की ये सौगात अलग है।।

करने को कृषि आज भी गौधन की जरूरत है,
बैलों के कन्धे जब तक रहती जान,
और दूध - पूत गौ के जरूरत कि पूरक है,
तब तक खूब होती है सेवा वो बात अलग है,
ढलती उम्र देख फिर विक्रय कर दिया,
अब कटता देखकर क्यों आतीं शर्म है,
आज के समाज की सौगात अलग है।।

ना सहा अत्याचार सम्बन्धी तक दिये मार,
तूने ऐसा किया व्यवहार जनता की खातिर,
राधा हुई बलिहार तेरे प्यार कि खातिर,
रूकमण बनी गले का हार वो बात अलग है,
कर्म कर निस्वार्थ भाव से मर्म तुमने बतलाया,
रच डाला रणक्षेत्र अर्जुन ने सुन गीता ज्ञान,
कृष्ण तेरे ज्ञान की वो बात अलग है।।

आज युवकों ने परमार्थ करना छोड़ दिया,
रणक्षेत्र सजा है आज भी, सार कि बात करना छोड़ दिया,
भावकों ने अभिभावकों से शिष्टाचार करना छोड़ दिया,
हर गली,नुक्कड़,चौराहे पर कृष्ण खड़ा है,
जेब पर बलिहार है राधा प्यार करना छोड़ दिया,
बाद इसके भी अपवाद है कुछ वो बात अलग है।।

युवकों व युवतियों और आज के आकाओं सुनो,
मना रहे उत्सव जिस कृष्ण के जन्म का,
रखो उस कृष्ण की नीति ज्ञान का ध्यान,
कुलश्रेष्ठ बनो विशेष्ठ बनो भारत बने महान,
बन कर्मयोगी इस तरह कुछ करना अलग हैं।।