गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014

२४ अक्तूबर २०१४ गौवर्धन पूजा

उस शक्ति को नमन् करें,
गौवर्धन है नाम जिसका,
पूजन करें उसका वन्दन करें।।

गौ से है शक्ति दूध धृत की,
बलिष्ठ करे जो, चित्त वृत्त की,
पूजन करें उसका वन्दन करें।।

दूध-धृत में स्वर्ण है मिलता,
सेवन से अंग-अंग खिलता,
पूजन करें उसका वन्दन करें।।

गौधन सहायक है अन्नधन मे,
खलिहान सजाता है तन-मन से,
पूजन करें उसका वन्दन करें।।

अग्नि सजाता है जिसका मल तक,
पूर्ण कराता है सृजन से वृष्टि तक,
पूजन करें उसका वन्दन करें।।

मृत देह तक काम में आयें,
सींघ से कंघी आंत से तंतु,
जीवन भर साथ निभाये।।

उस शक्ति को नमन् करें,
गौवर्धन है नाम जिसका,
पूजन करें उसका वन्दन करें।।

२२ अक्तूबर २०१४ दीपावली पर्व

दीप जलाते माटी के,मन के दीप जलाओं,
तम् दूर करो मन के,सबको गले लगाओ।

फैला है अन्धकार द्वेष-भाव का,
दिन चार कदम से क्या होगा,
मंजिल लम्बी समय लघु,
बन प्रकाश पुंज,ज्ञान दीप जलाओं,

दीप जलाते माटी के,मन के दीप जलाओं,
तम् दूर करो मन के,सबको गले लगाओ।।१।।

भटके हुये है विषयों में,
अन्ध अमावस में खोये हुये,
रात अलौकिक करने को पूर्णिमा कि भाँति,
दीपक बन दीपक जलाओं,

दीप जलाते माटी के,मन के दीप जलाओं,
तम् दूर करो मन के,सबको गले लगाओ।।२।।

सुलग रहीं है जो अग्नि मन के भीतर,
बन आतिशी विस्फोट,
इस दिवाली हो शपथ बन शांति दूत,
नया सवेरा अपनाओं,

दीप जलाते माटी के,मन के दीप जलाओं,
तम् दूर करो मन के,सबको गले लगाओ।।३।।