मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

शर्म, दिनाँक २३ फरवरी २०२२

न देखिये आस-पास कुफ़्र न देखकर विनाश कीजिये,
उठा जो आचरण दिया ओर उठाकर विकास कीजिये।।
बड़ी मेहनत की थी सदियों की एहसास-ए-इज्ज़त सजाने में,
बनाकर जगह थेकली की, लगाकर न फिर नुमाइश कीजिये ।।
गिरकर न नज़रों से खत्म करो, अदब के खजाने को,
बन्दगी न करो न सही, शर्म है गहना तो शर्म कीजिये ।।

खानदान की कीमत पता चलती है हुस्न-ए-सलूक से,

अदब का हर पहलू इससे है, नजरों में थोड़ी हया कीजिये ।।

मिलती नही मन्जिल में बा-वफ़ा अब हर मुसाफ़िर से,
आजकल गुरबत में है "नादान" जरा ईनायत कीजिये ।।

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

सरस्वती आराधना - बसन्त पञ्चमी दिनाँक ०५ फ़रवरी २०२२

वर दे माँ वीणा वादिनी वर दे माँ सरस्वती,
हे कमलधारिणी वर दायिनी वर दे माँ सरस्वती,
तुझे पूजूँ माँ तुझे ध्याऊँ पल-पल,क्षण-क्षण तुझे रिझाऊँ,
वर दे माँ वीणा वादिनी वर दे माँ सरस्वती,
हे कमलधारिणी वर दायिनी वर दे माँ सरस्वती।।

प्रकृति सम श्रंगार कर वाणी का, हर मन में बस जाऊँ,
ज्ञान की ज्योति ऐसे जले, भवसागर तर जाऊँ,
तेरी कृपा की भिक्षा चाहूँ हे वीणा वादिनी माँ सरस्वती ।।

कदम-कदम ज्यों बढूँ सत्य मार्ग पर चलता जाऊँ,
निर्भय का वर दे वर दायिनी अभय हो विजय पाऊँ,
मन बसे कल्याण भावना ऐसा वर दे कमलधारिणी कल्याणी ।।
इन्द्रिय खुले तन-मन की समभाव सजे मेरे मन-मन्दिर में,
राग-द्वेष से कोसों दूर हो,वैरी भी अलंकृत हो जीवन में,
भारत सिरमौर बनें विश्वभर में,मैं बस जाऊँ जन-मन में ऐसा वर दे माँ सरस्वती ।।

वर्तमान इंसान दिनाँक ०४ फरवरी २०२२

शख्सियतों ने किरदार के कई रंग, चेहरे पर चढ़ा रखे हैं,

खिलाड़ी हैं जो मंजे हुये, बदलने को पाला मैदान बचा रखे हैं ।।


दोगली फ़ितरत में, अहम के किरदार सज़ा कर,

कभी तेरे कभी मेरे बन, बीच फ़ासले बना रखे हैं ।।


कब कौन धोखा दे जाये, ये कौन जानता हैं,

लेकिन धोखा वहीं देते है, जो तूने अपने बना रखे हैं ।।


प्यारी आँखों की हया कैसे मरी, जो खोजने चलों,

बेशर्म किरदार कि परछाई के पीछे भी किरदार नज़र आते हैं ।।


द्वंद्व है धुंध है अहम की, हाथ को हाथ दिखता नहीं,

दीप जलाकर देखना, पीठ मुखौटे के चेहरे नज़र आते हैं ।।


मुकम्मल है "नादान" बहुत सीधा है भोला-भाला है,

मतलब के लिये लोग, जब-तब नीच घर पानी भर आते हैं ।।