मंगलवार, 5 सितंबर 2017

०५ सितम्बर २०१७ शिक्षक दिवस

प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को,
नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को ।।

गुरू ज्ञान है गुरू मान है,
गुरूओं कारण ही पहचान है,
दिया न होता ज्ञान गुरू ने,
ज्ञान रहित होता अन्ध मेरा मन,
चक्षु रहित पशुवरत होता तन,

प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को,
नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को ।।

प्रथम वन्दन भोर से पहले,
आँख खुले तो मुझसे बोले,
उठकर बेटा पहले मुँह धोले,
माँ हरदम रहती चिन्तन में,
स्वर्ग बसा जिनके चरनन में,

प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को,
नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को ।।

साथ मे वन्दन उस पिता को,
जिसने भले बुरे का ज्ञान दिया,
न माना तो डाँट दिया और साथ दिया,
चिन्तन धर सुत का निज सुख त्याग किया,
नख-सिख तक ऋणी है उनको न कैसे ध्यान धरूँ ।।

प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को,
नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को ।।

दूजे चरण पखारूं उनके,
जिन्होंने अक्षर ज्ञान दिया,
समय बद्धता और अनुशासन ज्ञान दिया,
जीने का सामान दिया,
शिक्षक बन मुझमें स्व का भान किया,

प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को,
नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को ।।

वन्दन है मेरा फिर उन चन्दन को,
जिन्होंने रिश्तों का भान दिया,
बन लाड़ो-दाऊँ कभी चिढ़ाया कभी रिझाया,
मुझे खेल से जीवन खेल सिखाया,
भौजाई से ताई तक सबने कुछ व्यवहार दिया,

प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को,
नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को ।।

चलो नमन करूँ उन मित्रों को,
जो जीवन के हर क्रम में साथ रहे,
जिनसे कभी साद रहे और कभी वाद रहे,
सुख की बेला में जिनसे ही उल्ल्हास रहा,
दुख की घड़ी में घर के चिराग आबाद रहे,

प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को,
नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को ।।

अन्तिम वन्दन है अवसर को,
जो सबसे छूटा पूरा किया उस कसर को,
अवसर है ऐसा ज्ञान हो जाये पूरक जो,
भूले नही भूला जाता उम्र भर रहता संज्ञान,
अपना-पराया,भला-बुरा सब सिखा देता हैं वो,

प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को,
नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को ।।

हर जन कण है वन्दनीय वो जिनने,
जीवनक्रम में कुछ ज्ञान दिया,
हर दिवस है गुरदिवस,
जिसमें हमने भान किया,
वन्दन के चन्दन को क्यों दिन बँधाऊँ,

प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को,
नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को ।।

शिक्षक बन जिन्होंने उपकार किया,
जन्म दिवस है आज उनका मनाओं
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन नाम जिनका,
नित्य स्मरण कर ऐसा कर्म कर,
तम दूर करो उनको वन्दन कर जाओ,

प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को,
नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को ।।