मंगलवार, 20 जुलाई 2021

साथ निभाओ तो कोई बात बने दिनाँक १५ जून २०१३

मीत का साथ निभाओ तो कोई बात बने।
गीत में साज बजाओ तो कोई बात बने।।
एक दिन मौज मनाने से क्या भला होगा?
रोज दीवाली मनाओ तो कोई बात बने।
इन बनावट के उसूलों में धरा ही क्या है?
प्रीत हर दिल में जगाओ तो कोई बात बने।
क्यों खुदा कैद किया दैर-ओ-हरम में नादां,
रब को सीने में सजाओ तो कोई बात बने।
सिर्फ पुतलों के जलाने से फायदा क्या है?
दिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने।
रूप की धूप रहेगी न सलामत नादां,
इश्क का ध्यान लगाओ तो कोई बात बने ।।