यूँ तो सभी का होता है अवतरण धरा पर ,
और फिर होता है अवसान।
जाने कितने ही संत आये और गये धरा पर,
ना हुआ कोई ना होगा जग में जैसा कबीर महान।।
जन्म हुआ जब इनका कोई निकट नही रहा अपना,
पालन - पोषण मिला टोटे में शिक्षा बनी रही सपना।
सभी धर्मों में चर्चित रहें बन आडम्बर विरोधी,
जात - पात छुआछूत को धतियारा बनकर संस्कृति के आरक्षी।।
क्या हिन्दू क्या मुस्लिम बख्शा नही किसी को सभी को फटकारा,
सभी थे उनके अपने सभी को दिया ज्ञान सहारा।
मूल्य बता गये जीने का सबको जाने सारा जहान,
ना हुआ कोई ना होगा जग में जैसा कबीर महान।।