मेरी कवितायें = पुष्पांजली
शनिवार, 3 जून 2023
इन्सान और आदमी दिनाँक ०३ जून २०२३
खुशियाँ कम हैं, अरमान बहुत हैं,
जिसे भी देखों परेशान बहुत है ।।
निकट से देखा तो निकला रेत का घर,
किन्तु दूर से इसकी शान बहुत है ।।
कहते हैं सत्य का कोई मुक़ाबला नहीं,
किन्तु आज झूठ की पहचान बहुत है ।।
मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी,
लेकिन यूँ कहने को इन्सान बहुत हैं ।।
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