सोमवार, 31 अक्तूबर 2016

पंक्तिया

रीत पुरानी प्रीत नयी लाया हूँ,
प्रेम के परिवेश का दीप जलाने आया हूँ,

मै समझा हूँ तुम्हे समझाने आया हूँ,
राजनीति के पुरोधों से तुम्हे जगाने आया हूँ,

भाई से भाई लड़ाने ये धर्म परिभाषा गढ़ते है,
मतलब खातिर अपने ये विद्वेष भाषा पढ़ते है,

मानवता के हत्यारे मानव को देते है सन्देश,
रंग एक है खून का खून में है करते विभेद,

धन और आज के रिश्ते दिनाँक ३१ अक्टूबर २०१६

धन के परदे है, समाज के नयन दरम्यां,
रिश्ते खून के हो या विश्वास के,
निभाये जाते है,नयनों में बाकी,शर्म-ओं-हया।।

रिश्तों की पूँजी चल रही मतलबी फसानों में,
आत्मीयता खत्म हुयी, अपनों में,
वास कर गया विष विश्वास के दरम्यां ।।

महँगी हुयी यारी, बढ़ रही प्यार की बीमारी,
वादों का खून हुआ, वफ़ा आज हारी,
चरित्र हनन है जारी, क्षणिक सुख के दरम्यां।।

इंसां इंसां का दुश्मन हुआ चंद सिक्कों के लिये,
प्यार सजता है जिस्म की लोलुपता लिये,
प्यार नीलाम हुआ रिश्तों का, नोटों के दरम्यां।।

जालिम धन बल सहारे मौज मनाता रहा कही,
बहन तकती रही रास्ता भाई की आस में,
उपहार बना व्यवहार, रस्म अदायगी दरम्यां।।

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

भक्ति अथवा चापलूसी दिनाँक २७ अक्टूबर२०१६

देशभक्ति क्या होती है? कोई परिभाषित कर बता दे।।

कर्म करूँ चाहे जैसा देशभक्त कहलाऊँ ऐसा जतन बता दे,
मरकर तिरंगे में लिपटा क्या जाने हूजूम ने प्रमाण किया है,
रहूँ तिरंगे संग जिन्दा सनद लिये ऐसी युक्ति बतला दे।।
देशभक्ति क्या ...…….…...…................................।।

मन,कर्म,वचन से ईमान को पूर्ण योग किया,
जहाँ में जितनी साँसे ली अंर्तआत्मा को सम्मान दिया,
मन,कर्म,वाणी में भेद कर ईमान सिद्ध हो ऐसी युक्ति सीखा दे।।
देशभक्ति क्या ...…….…...…................................।।

कर्म किये मर्म वाले जिसने सादा लिवास रख तन पर,
वो खामोश चला गया ख़ामोशी से जो छला गया पल-पल,
दिल में नस्तर सा चुभता है द्रोही का सम्मान कोई चापलूसी सिखा दे।।
देशभक्ति क्या ...…….…...…................................।।

शिक्षा अच्छी है कि सेवा बिल्कुल निःशुल्क होती है,
क्या ये कथन सिर्फ चंद कर्मीपर शिक्षावत लागू होती है,
अपनी नाराजगी जता सिफारिश कराते है बन्द कमरों में,
खुद की पैरोकारी में खुद का निर्धारण बन्द हो ऐसा कोई क़ानून बता दे ।।
देशभक्ति क्या ...…….…...…................................।।