मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

उनकी याद १७ दिसम्बर २०१४

जिन्हें हम याद करते है,वो क्यों दूर हो जाते है।।

हम रखते है याद सीने में,वफा के साथ उनकी,
वो अपनी खुशियों के लिये,क्यों दामन हमारा छोड़ जाते है।।१।।

वो ना खुश रहे हमने कब ऐसा चाहा,हमने तो बस उनका भला ही चाहा,
हैसियत कम ही सही मगर जज्बात सलीके है,फिर ना जाने वो क्यों घबराते है।।२।।

जिनकी यादों को संभालकर रखा,हमने ईमान के साथ अबतक,
वो गुलशन बन महलों की,हमारे जज्बातों की हसीं क्यों उडाते है।।३।।

"नादान" तू सदा नादान रहा,जो रखता है घरौंदा उनकी यादों का,
ये बे तकुल्लफी की दुनिया है,समय देखकर लोग बदल जाते है।।४।।

सोमवार, 15 दिसंबर 2014

इश्क - पूजा १६ दिसम्बर २०१४

जलती है जो लौ इश्क की वो शम्मा ना दिखती है ना छुपती है,
ये दिल कि लगी है दोस्तों ये आग ही ऐसी है जो बुझाये ना बुझती है।।
जहाँ लगी हो झडी मोहब्बत की वहाँ सब राग सूने है,
ये वो धुन है जहाँ पूजा भी नित्य है और इबादत ना दिखती है।।
मन्दिर मस्जिद चर्च व गुरूद्वारे सब बेकार की बाते है,
जहाँ पहरा हो प्रीत के बन्धन में वहाँ पूजा न लगती है ना अजान सुनती है।।
दिल वो मन्दिर है जहाँ बस एक ही मूरत बसती है,
यहाँ पूजा होती है हरपल पर थाल-आरती कहाँ दिखती है।।

मंगलवार, 9 दिसंबर 2014

जिज्ञासा - नाम की १० दिसम्बर २०१४।


जी चाहता है कि मै भी नाम कमाऊँ,
जाने मुझको दुनिया सारी मै ऐसी पहचान बनाऊँ।।

यूँ तो नाम है बद-नाम में भी मै इत्तफाक नहीं रखता,
कद मेरा रहे जैसा भी सदैव सर उठाकर जी पाऊँ।।

गर्व करे मेरे सगे-सम्बन्धी मित्र और पितृ भी सारे,
काम करूँ मै सदैव ही ऐसा मात-पिता की शान कहलाऊँ।।

हो ना कभी बुरा किसी का स्वप्न में भी भावना आठो याम रहे,
जीवन सफल बने निज कारण से कर्म ऐसा आधार बनें।।

कल रहूँ ना रहूँ दुनिया में,नाम मेरा सदैव आबाद रहें,
हथियार बनें कलम मेरा और मै सिपाही कहलाऊँ।।

जी चाहता है कि मै भी नाम कमाऊँ,
जाने मुझको दुनिया सारी मै ऐसी पहचान बनाऊँ।।

रविवार, 7 दिसंबर 2014

आचरण ०७ दिसम्बर २०१४

स्वभाव कहाँ दिखता है उनका दरकार से पहले,
सुन्दरता नजर आती है चरित्र पर नजर पडने से पहले।।

आचरण छुपा रोता है आज कोने में,
सुन्दरता खोजते है सब प्यार होने में ।।

धोखा कहाँ खाते है यहाँ हजार तन वाले,
राह में नही चल पाते दो कदम सदाचरन वाले।।

आज जमाने को दोष देते है सब,
पर आचरण नहीं मिलते सत्य के युग वाले ।।

उनका आना ०७ दिसम्बर २०१४

तुम जो आ गये हो जिंदगी मे,
खुशियों का सैलाब आ गया है।।

हिम्मत ना थी जिसका देखूं सपना,
हकीकत मे वो नज़र ख्वाब आ गया है।।

थी तारों सी टिमटिमाती मेरी जिंदगी,
अमावसी अंधेरे मे पूर्णिमासी चांद छा गया है।।

सूखा सावन थी मेरी जिंदगी एक बूंद बिना,
तेरे आने से पपीहा जीवन मल्हार पा गया है।।