शनिवार, 5 जून 2021

वक्त बतायें कौन अपना दिनाँक ०३ जून २०२१

कोई समझकर ना समझ सा बन जाता है,
कोई नासमझ को हलकान कर जाता है,
ये जो दुनिया है दुनिया बडी जालिम है,
कोई बनकर दोस्त घात कर जाता है,
मिलते है कई अपने शिक्षक गर्दिशें दौर में,
लगाकर मरहम बातों का शूल में शूल कर जाता है,
जब आती है किस्मत बनकर अपने सब  पर,
अपना जो सपना था वही बनकर मूल आता है,
वक्त बता देता है भेद अपने अपने का,
गर्दिशे दौर में जो गैर काम कर जाता है।।
                                   

विश्व पर्यावरण दिवस ०५ जून २०२१

कहाँ थे कहाँ से कहाँ आ गये अभी,
स्वर्ग सरीखे थे हम विश्व के सिरमौर थे,
काटकर जीवन की डोर बँधी थी जहाँ,
विकास के नव आयाम ऐसे रचे वहाँ,
तंग हुये जब भंग किये प्रकृति के रूप,
साँसों तक मोहताज हुये कर प्रकृति कुरूप,
मैं मेरा अर्थ समर्थ के फेर में मानव रहा बोराय,
जितना पढ़ा आगे बढ़ा उतना ही पगलाये,
छोड़ बुनियादी सीख को वृक्ष किये हलकान,
सन्तुलन है जिससे जंगल हो घमासान,
बचे नहीं जल जंगल जो होगा सृष्टि का नाश,
जन-जन हर मन यह प्रण धर वृक्ष रखेंगे आस-पास,
वृक्ष रखेंगें आस-पास होगा पर्यावरण संरक्षण,
सुथरी धरती-साफ गगन जिससे होगा निर्मल तन-मन,
हूँ भले ही "नादान" पर लीजो इतना कहना मान,
निर्मल तन-मन से सुखद जीवन तज से राष्ट्र बनता महान ।।
                       "नादान"