शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

अग्निकर्मी रक्षा मंत्रालय दिनाँक : ०८-०७-२०१६

सैन्यकर्मी है हम मंत्रालय रक्षा में अग्नि सुरक्षा के,
भारत की सेनाओं की संपदा व मानवीय अग्नि रक्षा के,
कर्तव्यपरायणता में काम नहीं सेना की किसी कोरों से,
फिर भी मात खा गये हम भारतीय गोरों से,
बावर्दी है हम सेना के हर कर्मी की भाँति,
सेना ही हमें सैल्यूट और ड्रिल सिखाती,
(जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक)
अग्निसुरक्षा खातिर सेना साथ कदम से कदम मिलाती,
फिर भी हर कर्मचारी मायूसी में रहता है,
उत्तर में हर स्तर पर दोहरापन सहता है,
कर्मक्षेत्र में कर्मकारी बावर्दी कहलाता है,
वारी आती है जब लाभान्वित हो पाने की,
किसी कदम पर अधिकारों में सक्षम हो जाने की,
वर्दी वाला चेहरा फिर सिविलियन कहलाता है,
नवप्रशिक्षण से पदुन्नति शिक्षण तक हर कोर्स में,
लिया खंगाल सब सिलेबस, मिले सूत्र भौतिक,रसायन,गणित हर सोर्स में,
वृक्ष की जड़ से पत्ती,हर शाखा को वृक्ष से जाना है,
फिर क्यों अग्निरक्षा में उच्च को टेक्निकल (डिग्री को इंजीनियर)  को निम्न को नोटैक्निकल माना है,
बन सेना का अंगी एक दिन, ख़ुशी छायी थी भारी,
क्रमबद्ध था अब तक सेना में (किसी स्तर पर)परिवारी,
"नादान" को कहाँ मालूम उस दिन खुद से छला गया,
जिस वर्दी को पूजन माना,उस पर सिविलियन लिखा गया,