मंगलवार, 1 अगस्त 2017

इश्क -ए-तमन्ना दिनाँक ०१ अगस्त २०१७

हम जिन पर हस्ती अपनी लुटाते रहे, मिटाते रहे,
हम अक्स ढूँढते रहे प्यार का उनकी कातिल हँसी में ।।

यूँ प्यार में हम उनके विश्वास का भरम  पाले रहे,
मृग मरीचिका के भरम में जैसे जल ढूँढता है रेगिस्तान में ।।

घायल है दिल दीवाना है उनकी हया-ओ-अदा में,
बैठे है इत्मिनान किये होगा सजदा वफ़ा-ए-इश्के यार में ।।

वो दौर-ए-इश्क की कहानी फिर से गुनगुनाना चाहता हूँ,
जो लिखी थी लैला ने इंतहाँ-के-हद से मजनूँ के प्यार में ।।