गुरुवार, 18 सितंबर 2014

हाल ए दिल १८ सितम्बर २०१४

जीना हमारा नश्वर हो आया,
तेरी वफा कि कसम याद आ गयी,
रात ज्यों ज्यों कहरने लगी,
त्यों त्यों यादों कि महक चहकने लगी,
तेरी यादों की कसक इस कदर बढी,
जैसे बढ़ती है इंतजार की घडी,
जब कहर सहा ना गया तेरी याद का,
कलम चली इस तरह कि गजल हो गयी,
तू आये ना आये ये तेरी सदा है,
यादों मे रहेंगी तू ये मेरी कदा हो गयी,
हाल देखकर मेरा दोस्त ने पूछ लिया,
किस बेवफा के कारण तेरी ये फिजा़ हो गयी,
नाम ना तेरा ले सका तोहीन प्यार की होती,
समझा दिया उसको हाल मे बीमारी दिल की हो गयी।