शुक्रवार, 17 मार्च 2023

जिन्दगी एक नजर में दिनॉक १७ मार्च २०२३

कभी इधर गया कभी उधर गया,
जिधर भी गया खराब थे उधर के रास्ते ।।

ढेर था विचारों का, हृदय उमंग भरा था,
न कह सका न सुन सका, मन भरा भरा था।।

शिकवा करता क्या किसी से सभी अपने थे,
बैठा जब भी खाली मन सुलझाने मन के फासले।।

कोशिश बेकार गयी हर बार, मुकम्मल करने की,
संजीदा जब भी हुआ, सुधार के वास्ते।।

चल रही है गाड़ी, ठहर सी गई है जिन्दगी,
चलाने हुनर जब भी निकला, घर के वास्ते।।

गिरा उठा, उठा गिरा, जीने के लिये कई बार मरा,
खड़ा ही पड़ा,हर बार मरा जिन्दगी के वास्ते ।।