शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

बेटियाँ (साक्षी मलिक व पी.वी.सिंधु की रियो ओलंपिक जीत पर )१९ अगस्त २०१६

वाह ! बेटियाँ !
तेरा क्या कहना,
हो तुम देश का गहना,
कल तक थी दुनियाँ को भारी,
आज है दुनियाँ तुम से हारी,
बेटों की चाहत ऐसी,
जीवन प्रत्याशा हो जैसी,
बेटी जो कोख़ में मारी,
उस दिन दुर्गा हारी,
दुर्गा की पूजा हुयी खारी,
देखो आज नारी की शक्ति,
बेटे हार गये खेल की भक्ति,
जब हुयी हताशा ओर रुसवाई है,
बेटियों ने पहचान बनाई है,
उनके आस में उनके विश्वास में,
थोड़ी मायूसी झलकी है,
सोने पे वार किया चाँदी ही छलकी है,
पर क्या कम है बात में दम है,
जब बेटे हार रहे बेटियों ने जीत दिलाई है,
बेटियों के आगे कब पार बसाई है,
बेटियाँ पन्ना का त्याग है,
बेटियाँ लक्ष्मी है, बेटियाँ दुर्गा सी शक्ति है,
अबला है ये कहना गलत है,
साबित ये स्वयं कर दिया है,
सोने के लिये कर यत्न चाँदी और कांस्य का,
सफल जतन कर दिया है,
जो खुद रत्न है और रत्नों को देती जन्म है,
जिनका कर्म रत्न है, जिनका बन्धन रत्न है,
बेटियाँ है बेटों से बढ़कर इनसे ही भारत है,
ये ही कुल को बढाने वाली,
ये ही कुल रत्न है ये ही असली भारत रत्न है।।

सोमवार, 15 अगस्त 2016

मजदूर दिवस 1 मई 2016


तलब-ऐ-मेहनत की मोहब्बत में,
जिन्दगी बेकार हुई,
हम रह गए मजदूरी करते,
और वो सरकार हुई,
जिन्दगी गुजार दी,
मेहनत करते करते जिसके लिए,
आज वो छत, दाल और रोटी,
बूते के भी बाहर हुई,
जिन्दगी का अच्छा शिफा दिया,
मेरी सरकारो ने,
पढ़े लिखे कुशल मजदूर भये,
और निरक्षर नेताओ की सरकार हुई,
मजदूर दिन रात एक कर,
सपने सजाता रहा,
जो कर्जदार रहा माह भर,
आज फैक्ट्री दो से चार हुई,
पूँजीवाद और सिफारिशों के दौर में,
आज मजदूर पिस गया,
जिन्दगी की खातिर (बेटे की),
ताउम्र की पगार नीलाम भरे बाजार हुयी ।।

रविवार, 14 अगस्त 2016

आजादी १५ अगस्त २०१६

कदम-कदम बढ़ाये जा, गीत आजादी के गाये जा।।

जो अपनी ही धुन के मतवाले थे,
मर्म आजादी का जानने वाले थे,
आजादी की खातिर जिन्होंने वरण किये हार ( फाँसी का फँदा)
उन्हें रख मनमंदिर में (पुष्प) हार चढाये जा,
कदम-कदम ....…...............................।।१।।

जिन्होंने माटी को माँ माना,
माँ का दर्द जिन्होंने पहचाना,
माटी का आँचल सजाने को,
कलंक गुलामी मिटाने को,
जिन्होंने घर छोड़ा जिन्होंने दर छोड़ा,
उनके घर (वतन) दिये जलाये जा,
कदम-कदम........................................(२)

जिनको आजादी जान से ज्यादा प्यारी थी,
जिनके बलिदानों से प्रतन्त्रता हारी थी,
उनकी गाथा गानों को,
बलिदानी कीमत बताने को,
नव-नव गीत बनाये जा,
कदम-कदम........................................(३)

जियें खातिर माटी के जो,
माटी की खातिर मिट गये जो,
थे सच्चे सपूत माटी के वो,
उनको श्रद्धा अपर्ण को,
उनको शीश नवायें जा,
कदम-कदम........................................(४)

है नाम पाक जिसका,
निय्यत जिसकी है पाक नहीं,
आतंक का संरक्षक जो,
जिसको पैंसठ-इक्यहत्तर याद नहीं,
उसकी नापाक हरकत मिटाने को,
उस पाक को पाक सबक सिखाने को,
क्रान्ति गीत गाये जा,
कदम-कदम.…….................................(५)