मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

शिक्षा जे0एन0यू0 प्रकरण 16 फरवरी2016

हर कोई मस्जिद में बैठा,इमाम नहीं हो सकता,
जिसका ईमान हो गिरा,वो मुसलमान नहीं हो सकता।
तिलक लगाकर पूजा करता मंदिर में,जरूरी नहीं पुजारी हो,
जो हत्यारा हो मानवता का,वो इंसान नहीं हो सकता।।

जो भाव में भी ताव दे और सीख दे हर बात में,
संस्कारों की बात करे और इज्जत नीलाम करे बाजार में।
धर्म ज्ञान को सामने रखकर, अधर्मी कर्म करता हो,
जो जान ना पायें मर्म इंसा का, वो विद्वानी नहीं हो सकता।।

प्रहरी हो जो देश के,अलग - अलग भेष में,
जान हथेली पर रखकर, हरदम चलते जोश में।
उनकी करनी को न्याय पूर्ति करने को स्वार्थ की खातिर तौल दे,
पहनकर चौला भारती का बोलो जो दुश्मन की भाषा वो देशभक्त नहीं हो सकता।।

कैसे कोई ज्ञान केंद्र में विद्रोह की भाषा बोल गया,
हो सकता है राजनीति के समर शेष में शक्ति तुला को तौल गया।
जरूरी नहीं जो उतारे जो चीर को वही दुःशासन हो,
कदम है जिसके वह बढ़ चले आँचल के उतरन को उसका सत्कार नहीं हो सकता।।