रविवार, 24 अगस्त 2014

मेरे मित्र २३ अगस्त २०१४

कुछ मित्रों ने हाथ बढा़या और छोड़ दिया,
संदेश दिया ओर लिया और बात करना छोड़ दिया,

यूँ तो मिलते है राह में कई हम नशीं,
जाने आपमें क्या देखा हमने आप लगी अपनी सी।

आप को देखा तो ख्वाब संजो लिए,
ख्वाब में हमको मिली दीवानगी आप साथ हो लिए,

ख्वाब में ही जिंदगी के बीज बो लिए,
ना कि बात जब साथी ने हम भी चुप हो लिए,

कर हिम्मत फिर से बात कि कोशिश के लिए,
आखों से जरिये बात के  लिये इशारे हो लिए ,

इशारों ही इशारों मे मुलाकात का तय समय कर लिया,
सपने मे तो अच्छा था तय कर हकीकत मे ऐतबार कर लिया,

उठा जो सपने से हकीकत से मुलाकात हो गयी,
सोची भी ना थी जो उनसे वही बात हो गयी,

मुँह फेरकर चले जब वो ख्वाब सा अहसास करा दिया,
जज्बातों को रखना संभाल कर दुनिया है मतलब की बता दिया।

कुछ मित्रों ने हाथ बढा़या और छोड़ दिया,
संदेश दिया ओर लिया और बात करना छोड़ दिया,