सोमवार, 20 अप्रैल 2015

कर्म और सम्बन्ध २० अप्रैल २०१५

मतलबी दुनिया में कौन किसी का होता है,
धोखा वही से मिलता है जहाँ भरोसा होता है।

जिंदगी एक फसाना है वैभवता की होड में,
है सम्बन्ध समाप्त सब लोलुपता कि खोड में।

मोह फसाँ है माया में माया पास सब अपनाते,
कंगाली अगर आ जाये रिश्ते भी है दरक जाते।

जीवन एक रंगमंच है घटनाएँ है नटकार,
हारे तो विलयन जीत गये तो कलाकार।

अरे 'नादान' कर्म का करता जा तू दान,
सफलता में सब अपने विफलता मे होगी पहचान।

माया तो आनी-जानी है परोपकार साथ निभाता है,
होता है महान वही जिसका नाम सबकी जुबा़ँ पर होता है।

बुधवार, 15 अप्रैल 2015

प्यार अब कहाँ है, १५ अप्रैल २०१५

प्यार आज मतलबी,
फसाना हो गया,
जज्बात छोड़कर,
धनेन्द्र का ठिकाना हो गया।
क्यों बैठा है डोर को पकड़े,
पतंग का अब हवाओं में,
आना जान जो हो गया।
'नादान' तू अब भी संभल जा,
प्यार के परिंदों का छप्पर छोड़,
महलों का आशियाना हो गया।
शुभरात्री शुभरात्री शुभरात्री ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏