हे नारी तुम खुद से सभी के दिलों में एक पहचान बनाती हो।।
माँ, बहन और पत्नी हर रूप में ढल जाती हो,
हे नारी तुम हर किरदार बखूबी निभाती हो,
घर हो या बाहर कर्तव्य पथ पर हर जगह साथ निभाती हो,
हे नारी तुम खुद से सभी के दिलों में एक पहचान बनाती हो।।
बनी अगर माॅं तो श्वास और प्राण देती हो,
बनी जो बहन अगर तो आदर और मान देती हो,
बन गयी अगर भार्या तो प्यार और सम्मान भरपूर देती हो,
हे नारी तुम खुद से सभी के दिलों में एक पहचान बनाती हो।।
उड़ने को आकाश में हौंसलों के पंख फैलाती हो,
चाह लेती हो जो वो हमेशा करके ही दिखा देती हो,
हालातों से लड़कर सपनों को साकार बना देती हों,
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